बात हिंदी दिवस की आई क्‍यों है

कहते हैं इसको अपनी भाषा, फिर
अपनो में ही हिंदी पराई क्‍यों है
पूरी दुनिया घूम लिया,
घर में ही शरमाई क्‍यों है
बारी अब खुल के बोलने की
फिर कोनों में सकुचाई क्‍यों है 
बात हिंदी दिवस की आई क्‍यों है
बना व‍िभाग नाम राजभाषा
करेगा व‍िकास थी सबकी आशा
पर अब भी है केवल निराशा
कहॉं गुम हो गई निज भाषा
अंग्रेजी ने हिंदी को आजमाई क्‍यों है 
हिंदी सम्‍मेलनों में भरमाई क्‍यों है 
हिंदी को पखवाड़ों में उलझाई क्‍यों है
बात हिंदी दिवस की आई क्‍यों है 

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