कैसी बूँद धरा पर आई? Kaisi boond dharaa par aaii?

कैसी बूँद धरा पर आई?

तक-तक नील-अंबर थक गये नयन-कारी
नयन सुख मिला देख बादल कारी-कारी।।
लो अब तो आ ही गई पावस की बारी
जैसे ही प्रकृति ने बूँद धरा पर उतारी।।
          पत्‍तों में हरियाली छाई
बूटों ने भी ली अंगराई
दूर्वा में भी जान समाई
कलियॉं भी अब मुस्‍काई।।

विहगों ने कलरव-गान सुनाई
झिंगूरो ने भी अपनी तान लगाई,,
अंभ देख मेढ़क टर्राई
पशु-मनुज सब ने जैसे आनंद मनाई
        वर्षा ने कैसा लोगों को भरमाया
शनै: शनै: उसने अपना प्रभाव बढ़ाया
फैला शहरों में कैसा वृष्टि साया
प्रकृति ने कैसा प्रकोप दिखाया

जिसे शबनम समझा वे शोला बन आया
अंबुद से थी आस, पर न कोई पुष्‍प खिलाया
प्रकोप दिखा, उसने अंबरूह का माहौल बनाया
अंबर का अंबुद, धरा पर, अंबुधि बनाया,

पावस ने ये कैसी विकरालता दिखाई
ये कैसी बूँद धरा पर आई।।

Comments

Unknown said…
Good going,जिसे शबनम समझा वे शोला बन आया
अंबुद से थी आस, पर न कोई पुष्‍प खिलाया
प्रकोप दिखा, उसने अंबरूह का माहौल बनाया
अंबर का अंबुद, धरा पर, अंबुधि बनाया,these line defines current political scenario.