घर्मनिरपेक्षता पर कुठाराघात
देश के संसाघनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों को बताते हेैं जिससे हिन्दुओं के मन में मुगलकाल की याद ताजा हो जाती है1 मुस्लिमों को खुश करने का सबसे शर्मनाक काम तो केंद्र ने यह किया कि उसने अफजल की तुलना पाकिस्तान में बेद सरबजित से कर दी1 आखिर क्या कारण है कि भारतीय लेाकतंत्र की सर्वोच्च संस्था पर हमले के आरोप में सर्वोच्च न्यायलय दवारा सजा सुनाने के बावजूद वह लगभग दो वर्षो से फांसी से दूर है1 क्या कंग्रेस के लिए लोकतंत्र से ज्यादा जरूरी मुस्लिम प्रेम हो गया है? या इसी लोकतंत्रया इसी लोकतंत्र में अपनी स्थिति मजबुत करने के लिए वह एसा कर रही है1 इसी केंद्र के इशारे पर राजस्थान मेे घर्मान्तरण बिलको राजयपाल दवारा रोका गया क्या लागो को घर्म परिवर्तित कराना वे भी इव्छा के विरूद्ध सही है? अगर नहीे तो इस बिल को रोकने का क्या औचित्य? इसी तरह के्रद्र सरकार दवारा अल्पसंख्यक के लिए पाजिफे की द्वोाषणा करना तो हज यात्रा में छुट प्रदान करना दोहरी नीति का ही उदाहरण है1 क्या हिन्दु को मनसरोवर यात्रा में छुट प्रदान किया जाता है?आखिर क्यों केंद्र सरकार सुप्रिम र्कोट दवारा अवैघ ठहराये गये सीमी पर प्रतिबंघ नहीं लगाया जाता है? क्या वह मुस्लिम प्रेम में आतंकवादी और इंसान में भ्ंी भेद करना भूल गया है?
दूसरी ओर बिहार में नितिश कुमार कीसरकार भी इसी राह पर पर चलती नजर आ रही है वह अल्पसख्यक छात्रों के लिए टाॅप करने अलग से 10 हजार रूपये देने की व्यवस्था की है तो पॅचवी पास मुस्लिम महिलाओं को ब्युटिशियन होने का ट्रेनिंग दने की भी बात है क्या बहुसंख्यक अर्थिक रूप से पिछडे नहीं होते क्या हिंन्दु महिला स्वरोजगार पायगी तो अनर्थ हो जायगा?
जो लाग मुसिलम प्रेम दिखा रहे है वह शयद यह भूल रहे हैं कि अगर बहुसंख्यक एक हो गयेतो वो सत्ता में क्या परिदुश्य में ही नजर नहीं आयेगं वेसे भी हमारी धर्म निरपेक्षता कदापी नहींेसिखती की हम एक वर्गे को हसिए पर रखे तथा दूसरे घर्म के लोगो को लाभ पॅंहुचाये अखिर घर्म के आघार पर आरक्षण देना घर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का हनन ही तो है तो फिर वे किस नैतिक हित से बहुसंख्यक के पास वोट माॅगने आ सकते है1
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