पुराने शब्द और नए बंध में कोई नया पद गढ़ते हैं
नव्य स्वप्न, नई कामना से नव वर्ष का स्वागत करते हैं
कामना कि ऐसा ये नया साल बने,
भूखमरी के लिए जो काल बने,
कृषक भी जिसमें खुशहाल बने,
मजदूरों को खुशी दे वो उषाकाल बने,
सब जन खुशियों से निहाल बने,
ऐसा ये नव पुलकित साल बने।
झूठे वादों को जरा विराम मिले,
भ्रष्टाचार को भी थोड़ा लगाम मिले,
वीरता को सबका सलाम मिले,
हर मुख से शांति का कलाम मिले,
इस नए साल सबको ये जाम मिले।
पास हो जिसमें सब, वो इम्तिहान मिले,
हर सूर्यास्त दुःखो को अवसान मिले,
सदा हरा भरा रहे वो खलिहान मिले,
रास्ता अनीति का सदा सुनसान मिले,
नववर्ष में सबको ये नव बिहान मिले।
शिक्षा जिसमें आसमान चढ़े,
सपने जिसमें परवान चढ़े,
सभी विचारों को सम्मान मिले,
हर मुख को नया तान मिले,
नए साल नवस्वाभिमान मिले।
वैमनस्यता को न कोई छद्मनाम मिले,
भाईचारा कभी न कहीं गुमनाम मिले,
धर्म के नाम पर न कोई संग्राम मिले,
धर्मनिपेक्षता को न कोई इल्जाम मिले,
नए साल में दंगो का न कोई पौगाम मिले।
मूढ़ों का न हो स्तुतिगान,
बेवजह न हो यशोगान,
फैले न रोज मिथ्याज्ञान,
नववर्ष में न हो ज्ञान का नुकसान।
जागृति को नया अभियान मिले,
इंसानियत से फिर इंसान मिले,
समरसता का नया बागान मिले,
नए साल में खुशियों से चूर हिंदुस्तान मिले।
इस नव वर्ष के नवल पल में
प्रेम करता है यही कामना,
कि प्रेममय हो हर घर अँगना।
भाईचारा से हो भारत महान,
फैले चहुं ओर बोध और ज्ञान।
हो भारत का हर पल अभ्युथान।।
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